हम हैं आपके साथ

हमसे फेसबुक पर जुड़ें

कृपया हिंदी में लिखने के लिए यहाँ लिखे.

आईये! हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी में टिप्पणी लिखकर भारत माता की शान बढ़ाये.अगर आपको हिंदी में विचार/टिप्पणी/लेख लिखने में परेशानी हो रही हो. तब नीचे दिए बॉक्स में रोमन लिपि में लिखकर स्पेस दें. फिर आपका वो शब्द हिंदी में बदल जाएगा. उदाहरण के तौर पर-tirthnkar mahavir लिखें और स्पेस दें आपका यह शब्द "तीर्थंकर महावीर" में बदल जायेगा. कृपया "रमेश कुमार निर्भीक" ब्लॉग पर विचार/टिप्पणी/लेख हिंदी में ही लिखें.

बुधवार, अप्रैल 13, 2011

अपना ब्लॉग क्यों और कैसे बनाये-11

लेखक की कलम से दो शब्द
क़ानूनी सलाह देने में सार्थक ब्लॉग 
 आप सभी दोस्त व पाठक अपना "ब्लॉग क्यों और कैसे बनाये"विषय पर पिछली दस पोस्टों को पढ़कर काफी कुछ जान चुके होंगे.उपरोक्त विषय पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने का प्रयास किया है.मुझे यह तो पता नहीं है, आपको कितनी जानकारी हासिल हुई है. इसके बारे में आप टिप्पणियाँ करके ही बता सकते हैं. मगर आज की पोस्ट भी उसी विषय को समर्पित है.हो सकता है कुछ प्रश्न का उत्तर जानकारी के अभाव में छुट गए हो. इसलिए आज की पोस्ट को उपरोक्त विषय की जानकारी पूरी करने के उद्देश्य से "हमारीवाणी" और "सारथी" ब्लॉग पर जो जानकारी दी गई थी. उसी को बिना किसी प्रकार के संपादन किये हुए ही प्रकाशित किया जा रहा है. उपरोक्त पोस्ट को शास्त्री जे सी फिलिप ने लिखा है और शास्त्री जे सी फिलिप एक समर्पित लेखक,अनुसंधानकर्ता एवं हिन्दी-सेवी हैं.सारथी हिन्दी के सबसे अधिक पढे जाने वाले व्यक्तिगत चिट्ठों मे से एक है और हर महीने 5,00,000 से ऊपर हिट्स पाता है. 
हिन्दी में ब्लाग कैसे बनाएं
क्या मैं हिन्दी में अपनी वेबसाईट या ब्लाग बना सकता हूं? 
बिल्कुल. अब हिन्दी में वेबसाईट बनाना और चलाना बहुत आसान है.
मैं वेबसाईट बनाऊं या ब्लाग?  

अगर अभी तक आप वेबसाईट या ब्लाग्स की दुनिया से अनजान थे तो बेहतर होगा कि आप पहले अपना एक ब्लाग बनाएं. हालांकि हिन्दी में वेबसाईट बनाना और चलाना भी बहुत आसान और कम खर्चीला है फिर भी आपको सलाह है कि आप पहले अपना ब्लाग बनाएं.
अगर वेबसाईट बनाना आसान है तो मैं शुरू से ही अपनी वेबसाईट क्यों न बनाऊं?  

अगर आप कोई व्यवसाय चलाते हैं या फिर देवनागरी भाषा में कोई समाचार-प्रचार माध्यम खड़ा करना चाहते हैं तो आप निश्चित ही अपनी वेबसाईट से शुरूआत करिए. लेकिन आप व्यक्तिगत विचारों की अभिव्यक्ति या फिर एक निश्चित पाठकवर्ग के बीच तुरंत अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप अपना ब्लाग बनाएं. इससे कई फायदे हैं.
1. अपने वेबपेज के लिए आपको कहीं जगह (होस्टिंग) नहीं खरीदनी पड़ती.
2. आपको बनी-बनाई डिजाईन मिल जाती है जिसको आप अपनी रूचि के मुताबिक ढाल सकते हैं.
3. अगर आप अपने ब्लाग पर पर्याप्त सक्रिय हैं और लोगों के सामने वेबसाईट की तरह प्रस्तुत करना चाहते हैं तो हिन्दी ब्लागिंग का मौका देनेवाली दो बड़ी संस्थाएं वर्डप्रेस और ब्लागर आपको अपने डोमेन नेम पर जाने की सुविधा देती हैं.
4. क्योंकि आपको अलग से कोई वेबस्पेस नहीं खरीदना है इसलिए आपको यह चिंता नहीं करनी है कि हर साल उसके लिए आप पैसा जमा करें और उसका नवीनीकरण करवाएं. ब्लाग पर एक बार आप जो कार्य कर देते हैं वह तब तक वहां मौजूद रहेगा जब तब वह वेबहोस्टिंग कंपनी रहेगी.
फिर भी अगर मैं अपनी स्वयं की वेबसाईट हिन्दी में बनाना चाहूं तो? 

 आप जरूर यह कार्य कर सकते हैं. सबसे पहले आपको एक डोमेन नेम रजिस्टर्ड कराना होगा. डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन से पहले कुछ सावधानियों पर ध्यान दें. जैसे जहां से आप नाम बुक करवा रहे हैं वह आपके डोमेन नेम का कन्ट्रोल पैनल आपको दे दे. इसके साथ ही आप होस्टिंग (यानी वह जगह जिसका उपयोग आप अपने वेबपेज को चलाने और सामग्री को सुरक्षित रखने के लिए करते हैं) खरीदते समय यह ध्यान रखें कि सर्वर की परफार्मेंस कैसी है. आपके वेबपेज पर बहुत अच्छी सामग्री हो और आपने उसका डिजाईन भी बहुत अच्छा करवा रखा हो फिर भी अगर सर्वर धीमा है तो आपके सब किये पर पानी फिर जाता है.
ब्लाग बनाने की शुरूआत कैसे करें? 
वैसे तो आजकल हर बड़े वेब पोर्टल ब्लाग्स की सुविधा दे रहे हैं. आप कहीं मिनटों में ब्लाग बना सकते हैं. लेकिन हिन्दी में काम करनेवालों के लिहाज से ब्लागर(http://blogger.com/) और वर्डप्रेस (http://wordpress.com/) ही श्रेष्ठ विकल्प हैं. एक और स्थान है जहां आप अपना हिन्दी ब्लाग बना सकते हैं वह है लाईव जर्नल (http://livejournal.com/) . यही मुख्य तीन स्थान हैं जो आपको मुफ्त हिन्दी ब्लाग बनाने की सुविधा देते हैं. वर्डप्रेस और लाईव जर्नल स्वतंत्र प्रयास हैं इसलिए ये आपको एक सीमित मात्रा में जगह उपलब्ध करवाते हैं. अगर उससे अधिक जगह का उपयोग आप करते हैं तो आपको अतिरिक्त पैसा अदा करना होता है. वर्डप्रेस जहां आपसे 50 एमबी जगह उपयोग करने के बाद पैसे मांगता है वहीं लाईव जर्नल तीन तरह से आपको सेवाएं आफर करता है. पहला मुफ्त है लेकिन आप उसके तहत फोटो, आडियो आदि नहीं रख सकते. दूसरी सेवा भी मुफ्त है जिसमें आपको फोटो आदि रखने की कई सुविधाएं मिलती है लेकिन जर्नल इस मुफ्त सेवा के बदले अपने विज्ञापन आपके ब्लाग पर चलाता है. तीसरी सेवा के लिए लाईव जर्नल आपसे सीधे पैसे लेता है.

       वर्डप्रेस पहले पचास एमबी जगह के उपयोग तक आपसे कोई पैसा नहीं लेता. और आपके ब्लाग पर अपना कोई विज्ञापन भी नहीं चलाता. इस सेवा के उपयोग के लिए आप अपना कोई भी ई-मेल आईडी उपयोग कर सकते हैं. ध्यान रहे वर्डप्रेस पर एकबार आप जिस नाम से ब्लाग बना लेते हैं उसको कदापि नष्ट न करें. अगर आपने ऐसा किया तो उस नाम या ई-मेल आईडी से आप दोबारा वर्डप्रेस पर कभी ब्लाग नहीं बना पायेंगे. ब्लागर पर अपना ब्लाग बनाने के लिए आपके पास गूगल का ईमेल होना जरूरी है. यह आपको 1000 एमबी की जगह मुहैया कराता है और इसके लिए किसी भी प्रकार का कोई पैसा नहीं लेता. उलटे ब्लागर आपको एडसेंस की सुविधा भी देता है जिससे आप अपने ब्लाग पर गूगल द्वारा दिये जा रहे विज्ञापनों को लगा सकते हैं और अगर लोग उन विज्ञापनों पर स्पर्श करते हैं तो गूगल आपको पैसे देता है. उपर्युक्त तीनों सेवा प्रदाताओं का अध्ययन करने के बाद आप अपनी सुविधा के अनुसार जहां चाहें अपना ब्लाग बना सकते हैं. (क्रमश:)
Ramesh Kumar Sirfiraa said: बहुत अच्छी तकनीकी जानकारी दी है और साथ में मन में उठने वाले प्रश्नों का उत्तर देकर लेख की सार्थकता साबित करने की भरपूर प्रयास किया है. इसके अलावा हिंदी का ब्लॉग बनाने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए उदाहरण देने से लेख बहुत उपयोगी बन गया है. आपका उदाहरण :- हिन्दी में काम करनेवालों के लिहाज से ब्लागर(http://blogger.com/) और वर्डप्रेस (http://wordpress.com/) ही श्रेष्ठ विकल्प हैं. एक और स्थान है जहां आप अपना हिन्दी ब्लाग बना सकते हैं वह है लाईव जर्नल (http://livejournal.com/) . यही मुख्य तीन स्थान हैं

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. आप हमारी या हमारे ब्लोगों की आलोचनात्मक टिप्पणी करके हमारा मार्गदर्शन करें और हम आपकी आलोचनात्मक टिप्पणी का दिल की गहराईयों से स्वागत करने के साथ ही प्रकाशित करने का आपसे वादा करते हैं. आपको अपने विचारों की अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता है. लेकिन आप सभी पाठकों और दोस्तों से हमारी विनम्र अनुरोध के साथ ही इच्छा हैं कि-आप अपनी टिप्पणियों में गुप्त अंगों का नाम लेते हुए और अपशब्दों का प्रयोग करते हुए टिप्पणी ना करें. मैं ऐसी टिप्पणियों को प्रकाशित नहीं करूँगा. आप स्वस्थ मानसिकता का परिचय देते हुए तर्क-वितर्क करते हुए हिंदी में टिप्पणी करें.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

मार्मिक अपील-सिर्फ एक फ़ोन की !

मैं इतना बड़ा पत्रकार तो नहीं हूँ मगर 15 साल की पत्रकारिता में मेरी ईमानदारी ही मेरी पूंजी है.आज ईमानदारी की सजा भी भुगत रहा हूँ.पैसों के पीछे भागती दुनिया में अब तक कलम का कोई सच्चा सिपाही नहीं मिला है.अगर संभव हो तो मेरा केस ईमानदारी से इंसानियत के नाते पढ़कर मेरी कोई मदद करें.पत्रकारों, वकीलों,पुलिस अधिकारीयों और जजों के रूखे व्यवहार से बहुत निराश हूँ.मेरे पास चाँदी के सिक्के नहीं है.मैंने कभी मात्र कागज के चंद टुकड़ों के लिए अपना ईमान व ज़मीर का सौदा नहीं किया.पत्रकारिता का एक अच्छा उद्देश्य था.15 साल की पत्रकारिता में ईमानदारी पर कभी कोई अंगुली नहीं उठी.लेकिन जब कोई अंगुली उठी तो दूषित मानसिकता वाली पत्नी ने उठाई.हमारे देश में महिलाओं के हितों बनाये कानून के दुरपयोग ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया है.अब चारों से निराश हो चूका हूँ.आत्महत्या के सिवाए कोई चारा नजर नहीं आता है.प्लीज अगर कोई मदद कर सकते है तो जरुर करने की कोशिश करें...........आपका अहसानमंद रहूँगा. फाँसी का फंदा तैयार है, बस मौत का समय नहीं आया है. तलाश है कलम के सच्चे सिपाहियों की और ईमानदार सरकारी अधिकारीयों (जिनमें इंसानियत बची हो) की. विचार कीजियेगा:मृत पत्रकार पर तो कोई भी लेखनी चला सकता है.उसकी याद में या इंसाफ की पुकार के लिए कैंडल मार्च निकाल सकता है.घड़ियाली आंसू कोई भी बहा सकता है.क्या हमने कभी किसी जीवित पत्रकार की मदद की है,जब वो बगैर कसूर किये ही मुसीबत में हों?क्या तब भी हम पैसे लेकर ही अपने समाचार पत्र में खबर प्रकाशित करेंगे?अगर आपने अपना ज़मीर व ईमान नहीं बेचा हो, कलम को कोठे की वेश्या नहीं बनाया हो,कलम के उद्देश्य से वाफिक है और कलम से एक जान बचाने का पुण्य करना हो.तब आप इंसानियत के नाते बिंदापुर थानाध्यक्ष-ऋषिदेव(अब कार्यभार अतिरिक्त थानाध्यक्ष प्यारेलाल:09650254531) व सबइंस्पेक्टर-जितेद्र:9868921169 से मेरी शिकायत का डायरी नं.LC-2399/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 और LC-2400/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 आदि का जिक्र करते हुए केस की प्रगति की जानकारी हेतु एक फ़ोन जरुर कर दें.किसी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी हेतु मुझे ईमेल या फ़ोन करें.धन्यबाद! आपका अपना रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

क्या आप कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अपने कर्त्यवों को पूरा नहीं करेंगे? कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अधिकारियों को स्टेडियम जाना पड़ता है और थाने में सी.डी सुनने की सुविधा नहीं हैं तो क्या FIR दर्ज नहीं होगी? एक शिकायत पर जांच करने में कितना समय लगता है/लगेगा? चौबीस दिन होने के बाद भी जांच नहीं हुई तो कितने दिन बाद जांच होगी?



यह हमारी नवीनतम पोस्ट है: