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रविवार, मार्च 20, 2011

अपना ब्लॉग क्यों और कैसे बनाये.

 दोस्तों/पाठकों, उपरोक्त जानकारी मैंने स्वंय भी इधर-उधर एकत्रित की है. मुझे स्वंय कई प्रकार की अब तक जानकारी नहीं है मगर मुझे जितनी भी जानकारी है उसी के आधार पर मैं आपको "अपना ब्लॉग क्यों और कैसे बनाये" विषय पर हिंदी में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी सरल भाषा में दे रहा हूँ. किसी प्रकार की कोई गलती हो गई हो तो क्षमा कर दें.मैंने सुना है कि ज्ञान बाँटने से ही ज्ञान बढ़ता है. उसी ज्ञान को बढ़ाने हेतु अपनी जानकारी आपसे बाँट रहा हूँ. अक्सर कहा जाता है कि-आदमी सारी उम्र सीखता है. इसलिए कुछ सिखने और कुछ सिखाने के उद्देश्य से कुछ किस्तों में आपको जानकारी देते जाए.
Blogger की कहानी
Blogger को 1999 के अगस्त में सैन फ्रांसिस्को की एक छोटी सी कंपनी जिसका नाम Pyra Labs था ने आरंभ किया था. यह वह समय था जब डॉट-कॉम अपने चरम पर था. पर हम एक वीसी-निधि प्राप्त, पार्टी देने वालेस लॉबी में खेलने वाले, मुफ्त बीयर पिलाने वाले लोग नहीं थे. (जब तक कि वह दूसरों की मुफ्त बीयर न हो.) हम तीन मित्र थे, जो बड़ी कंपनियों के लिए अजीब अनुबंध वेब प्रोजेक्ट कर धन इकट्ठा कर रहे थे, इंटरनेट के भूदृष्य पर अपने स्वयं का प्रवेश दर्ज करने का प्रयास करते हुए. हम मूलत: क्या करने की कोशिश कर रहे थे वह अब अधिक मायने नहीं रखता. पर ऐसा करते हुए, हमने Blogger बनाया, कमोबेश एक लहर में, और हमने सोचा हूँ... यह तो बहुत मज़ेदार है.Blogger एक छोटे रूप में आरंभ हुआ, और अंतत: कुछ वर्षों के बाद बड़े रूप में. हमने कुछ पैसे इकट्ठे किए (पर छोटे बने रहे). और उसके बाद बबूला फूटा, और हमारे पैसे खत्म हो गए, और हमारी छोटी मजेदार यात्रा में मजा और कम हो गया. हम बाल बाल बचे, साबूत भी नहीं थे, पर पूरे समय (अधिकतर दिन) सेवा चलाते रहे और बैक अप बनाते रहे.2002 में फिर से सब ठीक चल रहा था. हमारे हजारों उपभोक्‍ता थे, हालांकि अब भी कुछ लोग हैं. और फिर कुछ ऐसा हुआ जो किसी से नहीं सोचा था: Google हमें खरीदना चाहता था. हां, वह Google.हमें Google बहुत पसंद आया. और उन्हे ब्लॉग अच्छे लगे. इसलिए हम इस विचार से सहमत थे. और यह अच्छी तरह हुआ भी.Now we're a small (but slightly bigger than before) team in Google में हम एक छोटी (पर पहले से थोड़ी सी बड़ी) टीम हैं जो वेब पर अपनी आवाज़ उठाने में लोगों की मदद कर रहे हैं और व्यक्तिगत परिप्रेक्ष्य में दुनिया की जानकारी को व्यवस्थित कर रहे हैं. जो काफी कुछ हमारा हमेशा से लक्ष्य रहा है.Google पर अधिक जानकारी के लिए, google.com देखें. (खोज के लिए भी अच्छा है.)
ब्लॉग क्या है ? 
ब्लॉग एक व्यक्तिगत डायरी है. एक दैनिक प्रवचन मंच. एक सहयोगपूर्ण स्थान. एक राजनैतिक सोपबॉक्स. एक ताज़ा समाचार आउटलेट. लिंकों का एक संग्रह. आपके अपने निजी विचार. दुनिया को दिए जाने वाली ज्ञापन. आपका ब्लॉग वैसा ही है जैसा आप उसे चाहते हैं. ऐसे लाखों हैं, सभी आकृति और आकारों में, और वास्तव में कोई खास नियम नहीं हैं. सामान्य शब्दों में, ब्लॉग एक वेब साइट है, जहाँ आप नियमित तौर पर सामग्री लिखते हैं. नई सामग्री सबसे ऊपर दिखती है, ताकि आपके विजिटर पढ़ सकें कि नया क्या है. इसके बाद वे उस पर टिप्पणी कर सकते हैं या उसे लिंक कर सकते हैं या आपको ईमेल कर सकते हैं. या नहीं. 1999 में Blogger के लांच होने के बाद से, ब्लॉगों ने वेब के पूरे स्वरूप को ही बदल डाला, राजनीति को प्रभावित किया, पत्रकारिता को हिलाकर रख दिया, और इसने लाखों लोगों को अपनी आवाज़ उठाने और अन्य लोगों के साथ जुड़ने में सहायता की. और हमें यकीन है कि सारा काम बस अब आरंभ हो रहा है.
अपने विचारों को प्रकाशित करें 
ब्लॉग वेब पर आपको अपनी आवाज़ देता है. यह वह स्थान है जहाँ आप जो चीजें आपको रुचिकर लगती हैं उन्हे संग्रहीत और साझा कर सकते हैं फिर चाहे वो आपकी राजनीतिक टिप्पणियाँ हों, कोई व्यक्तिगत डायरी हो, या उन वेब साइटों के लिंक हों जिन्हे आप याद रखना चाहते हैं. बहुत से लोग बस अपने विचारों को व्यवस्थित करने के लिए ब्लॉग का प्रयोग करते हैं, जबकि दूसरे प्रभावकारी, पूरी दुनिया के हजारों लोगों पर अपनी छाप छोड़ते हैं. प्रोफेशनल और शौकिया पत्रकार ब्लॉगों का उपयोग नवीनतम समाचार प्रकाशित करने के लिए उपयोग करते हैं, जबकि व्यक्तिगत पत्रकार अपने अंदरूनी विचारों की अभिव्यक्ति के लिए. आपको जो भी कहना हो, Blogger आपकी वह कहने में मदद कर सकता है. (क्रमश:)

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मार्मिक अपील-सिर्फ एक फ़ोन की !

मैं इतना बड़ा पत्रकार तो नहीं हूँ मगर 15 साल की पत्रकारिता में मेरी ईमानदारी ही मेरी पूंजी है.आज ईमानदारी की सजा भी भुगत रहा हूँ.पैसों के पीछे भागती दुनिया में अब तक कलम का कोई सच्चा सिपाही नहीं मिला है.अगर संभव हो तो मेरा केस ईमानदारी से इंसानियत के नाते पढ़कर मेरी कोई मदद करें.पत्रकारों, वकीलों,पुलिस अधिकारीयों और जजों के रूखे व्यवहार से बहुत निराश हूँ.मेरे पास चाँदी के सिक्के नहीं है.मैंने कभी मात्र कागज के चंद टुकड़ों के लिए अपना ईमान व ज़मीर का सौदा नहीं किया.पत्रकारिता का एक अच्छा उद्देश्य था.15 साल की पत्रकारिता में ईमानदारी पर कभी कोई अंगुली नहीं उठी.लेकिन जब कोई अंगुली उठी तो दूषित मानसिकता वाली पत्नी ने उठाई.हमारे देश में महिलाओं के हितों बनाये कानून के दुरपयोग ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया है.अब चारों से निराश हो चूका हूँ.आत्महत्या के सिवाए कोई चारा नजर नहीं आता है.प्लीज अगर कोई मदद कर सकते है तो जरुर करने की कोशिश करें...........आपका अहसानमंद रहूँगा. फाँसी का फंदा तैयार है, बस मौत का समय नहीं आया है. तलाश है कलम के सच्चे सिपाहियों की और ईमानदार सरकारी अधिकारीयों (जिनमें इंसानियत बची हो) की. विचार कीजियेगा:मृत पत्रकार पर तो कोई भी लेखनी चला सकता है.उसकी याद में या इंसाफ की पुकार के लिए कैंडल मार्च निकाल सकता है.घड़ियाली आंसू कोई भी बहा सकता है.क्या हमने कभी किसी जीवित पत्रकार की मदद की है,जब वो बगैर कसूर किये ही मुसीबत में हों?क्या तब भी हम पैसे लेकर ही अपने समाचार पत्र में खबर प्रकाशित करेंगे?अगर आपने अपना ज़मीर व ईमान नहीं बेचा हो, कलम को कोठे की वेश्या नहीं बनाया हो,कलम के उद्देश्य से वाफिक है और कलम से एक जान बचाने का पुण्य करना हो.तब आप इंसानियत के नाते बिंदापुर थानाध्यक्ष-ऋषिदेव(अब कार्यभार अतिरिक्त थानाध्यक्ष प्यारेलाल:09650254531) व सबइंस्पेक्टर-जितेद्र:9868921169 से मेरी शिकायत का डायरी नं.LC-2399/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 और LC-2400/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 आदि का जिक्र करते हुए केस की प्रगति की जानकारी हेतु एक फ़ोन जरुर कर दें.किसी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी हेतु मुझे ईमेल या फ़ोन करें.धन्यबाद! आपका अपना रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

क्या आप कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अपने कर्त्यवों को पूरा नहीं करेंगे? कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अधिकारियों को स्टेडियम जाना पड़ता है और थाने में सी.डी सुनने की सुविधा नहीं हैं तो क्या FIR दर्ज नहीं होगी? एक शिकायत पर जांच करने में कितना समय लगता है/लगेगा? चौबीस दिन होने के बाद भी जांच नहीं हुई तो कितने दिन बाद जांच होगी?



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