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शुक्रवार, जनवरी 28, 2011

क्या मैंने कोई अपराध किया है?

क्या मैंने कोई अपराध किया है?
दोस्तों/ पाठकों  मैंने एक समाचार पढ़कर अपने अनुभवों के आधार पर एक ईमेल सुप्रीम कोर्ट में भेजी है. उपरोक्त ईमेल का मैटर पढ़कर बताये कि-क्या मैंने कोई अपराध किया है? मुझे आपकी अच्छी और बुरी टिप्पणियों का बहुत बेसब्री से इन्तजार रहेगा.
जस्टिस बी.सुदर्शन रेड्डी, जी.एस.सिंघवी और आफ़ताब आलम जी की बेंच के नाम एक पत्र.
माननीय जज साहब जी,
मैंने दिनांक 19 जनवरी को राष्ट्रीय सहारा समाचार पत्र में एक समाचार " आर.के.आनन्द ने भगवान का वास्ता दे की माफ़ी की गुहार" (जो संलग्न है.) पढ़ा. उस समाचार को पढ़कर ही अपनी व्यथा भावनाएं व्यक्त कर रहा हूँ. मेरा किसी का कोई अपमान करने या अहित करने का कोई इरादा नहीं है और मेरी एडवोकेट आर.के.आनन्द जी से कोई रंजिश या द्वेष नहीं है. बल्कि अपनी उपरोक्त ईमेल द्वारा देश में पेशागत चल रही बुराइयों से अवगत करा रहा हूँ. फिर भी आपकी शान में किसी प्रकार की कोई गलती या गुस्ताखी हो गई हो तो मेरी मानसिक हालत को देखते हुए क्षमा कर दें. आज श्री आर.के.आनन्द जी भगवान का वास्ता देकर माफ़ी मांग रहे हैं और कहते हैं कि-भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल को उसके घोर अपराधों के लिए 100 बार माफ़ कर दिया था.
1. क्या उन्हों कभी किसी गरीब द्वारा भगवान का वास्ता देने पर अपनी फ़ीस छोड़ दी थीं?
2. क्या उन्हों कभी किन्ही 100 गरीबों की (भगवान का वास्ता देने पर) निशुल्क पेरवी की थीं?
3. क्या उन्हों कभी किन्ही ऐसे 100 गरीबों की (वकीलों द्वारा धोखा दिए जाने के बाद ) उनके केस निशुल्क या बहुत कम फ़ीस पर पेरवी करके न्याय दिलवाने की कोशिश की थीं?
4. उन्हों कभी किन्ही ऐसे 100 गरीबों की (वकीलों द्वारा धोखा दिए जाने के बाद ) उनके केसों में पेरवी करके वकीलों को धोखाधडी करने की सजा या उनसे लिए रूपये दिलवाने की कोशिश की थीं?
4. क्या उन्हों कभी किन्ही ऐसे 100 गरीबों की (वकीलों द्वारा धोखा दिए जाने के बाद ) उनके केसों में पेरवी ठीक से होने के कारण जेल गए लोगों को रिहा करवाने में मदद करने की कोशिश की थीं?
5. क्या उन्हों कभी किन्ही ऐसे 100 गरीबों के (वकीलों द्वारा धोखा दिए जाने के बाद-उनके केसों में पेरवी ठीक से होने के कारण) केस ख़ारिज होने पर दुबारा खुलवाया है या कोशिश की थीं?
6. क्या उन्हों कभी किन्ही ऐसे 100 गरीबों के (वकीलों द्वारा धोखा दिए जाने के बाद-उनके केसों में पेरवी ठीक से होने के कारण) केस(चैक बाउंस वाले) ख़ारिज होने पर दुबारा खुलवाया है या कोशिश की थीं? और उनको चैक की धनराशी दिलवाई है.
7. क्या उन्हों कभी किन्ही ऐसे 100 गरीबों को (अपने अमीर मुक्किवलों को बचाने हेतु दवाब डालना और डराना) बिना किसी डर के गवाही देने के लिए प्रेरित(चाहे इस से इनका मुक्किवल का बचाव हो) किया था?
8. क्या उन्हों कभी किन्ही ऐसे 100 गरीबों या वेकसूर लोगों का जिनपर (धारा-498a और 406, धारा-125 और घरेलू हिंसा अधिनियम के ) फर्जी केस दर्ज है, उनके केसों की बहुत कम कीमत पर पेरवी की है?
माननीय जज साहब जी,
ऐसे कितने वकील है जिनको सजा मिली है? एक गरीब आदमी की कहाँ इतनी हैसियत की इनके ऊपर केस दायर कर सके क्योंकि यह कानून के जानकार होने की वजह से बेचारे उस गरीब को ही फंसा देते हैं या अपराधी लोगों से उसका शोषण करवाते हैं. जिससे वो व्यक्ति इतना टूट जाता है कि- अपनी जीवनलीला ही खत्म कर लेता है. मेरे साथ कई वकीलों ने धोखा किया. किसी ने मेरे चैक बाउंस के मामले में मुझे फर्जी तारीखें देकर केस ख़ारिज करवा दिया. दुबारा केस खुलवाने के लिए फ़ीस नहीं थीं. किसी ने मेरे चैक बाउंस के मामले में विरोधी पार्टी से मिलकर केस ही कोर्ट में दाखिल नहीं किया. किसी ने मेरे चैक बाउंस के मामले पेरवी ठीक से होने के कारण रुके हुए है और धारा-498a और 406 में बहुत ज्यादा फ़ीस लेकर भी रसीद नहीं दी और मांगने पर फर्जी केसों में फंसने की धमकी देते हैं. इनकी शिकायत का उचित मंच होने के कारण इन पर कार्यवाही करवाना टेढ़ी खीर है क्योंकि कोई भी वकील किसी दुसरे वकील को सजा दिलवाने के लिए आगे नहीं आता है. मैं यहाँ एक ताजा उदाहरन का उल्लेख कर रहा हूँ. मेरे ऊपर धारा-498a और 406 और धारा-125 के तहत फर्जी केस दर्ज है. धारा-498a और 406 में थाना-मोतीनगर, दिल्ली में FIR नं. 138/2010 दर्ज है. उसमें मेरे से एक वकील ने बहुत ज्यादा फ़ीस लेकर भी कोर्ट में मेरे सारे सही तथ्य रखकर बल्कि सारे तथ्यों को तोड़-मोड़कर रखा. जिससे मेरी आग्रिमी जमानत नहीं हो सकी. सारी जमा पूंजी खत्म होने और पिछले दो सालों से डिप्रेशन अन्य बिमारियों के चलते सारा कार्य बंद होने के कारणों से किसी प्रकार से सरकारी वकील भी मिला. मगर "इन तिलों में तेल होने के कारण" वो वकील भी आग्रिमी जमानत की याचिका लगाने से इनकार कर चुका है. अब मैं इन वकीलों के खिलाफ गरीब इंसान कहाँ शिकायत करूँ? अब जब भी पुलिस मुझे(वेकसूर) को उपरोक्त FIR नं. 138/2010 (जोकि दवाब में दर्ज हुई है) के सन्दर्भ में गिरफ्तार करेंगी तब सिर्फ आत्महत्या के सिवाय मेरे पास कोई विकल्प नहीं होगा.
जज साहब आप आर.के.आनन्द जी के माफ़ करने का फैसला अपने विवेकानुसार दें. मगर फैसला ऐसा हो कि-उससे वकीलों से पीड़ित कुछ गरीबों का भला हो जाये. किसी भी प्रकार की गलती के क्षमाप्रार्थी हूँ.
नियमित रूप से मेरा ब्लॉग http://rksirfiraa.blogspot.com , http://sirfiraa.blogspot.com, http://mubarakbad.blogspot.com, http://aapkomubarakho.blogspot.com, http://aap-ki-shayari.blogspot.com & http://sachchadost.blogspot.com देखें और अपने बहूमूल्य सुझाव व शिकायतें अवश्य भेजकर मेरा मार्गदर्शन करें. अच्छी या बुरी टिप्पणियाँ आप भी करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे.# निष्पक्ष, निडर, अपराध विरोधी व आजाद विचारधारा वाला प्रकाशक, मुद्रक, संपादक, स्वतंत्र पत्रकार, कवि व लेखक रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" फ़ोन:9868262751, 9910350461 email: sirfiraa@gmail.com
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महत्वपूर्ण संदेश-समय की मांग, हिंदी में काम. हिंदी के प्रयोग में संकोच कैसा,यह हमारी अपनी भाषा है. हिंदी में काम करके,राष्ट्र का सम्मान करें.हिन्दी का खूब प्रयोग करे. इससे हमारे देश की शान होती है. नेत्रदान महादान आज ही करें. आपके द्वारा किया रक्तदान किसी की जान बचा सकता है.

शनिवार, जनवरी 01, 2011

नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!


नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
आप सभी पाठकों / दोस्तों को "शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन" परिवार की ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं! आप व आपके परिवार के लिए नववर्ष 2011 मंगलमय हो! इन्हीं शब्दों के साथ ही .....

सुनहरे सपनों की झंकार, लाया है नववर्ष
खुशियों के अनमोल उपहार लाया है नववर्ष
आपकी राहों में फूलों को बिखराकर लाया है नववर्ष
महकी हुई बहारों की ख़ुशबू लाया है नववर्ष
अपने साथ नयेपन का तूफान लाया है नववर्ष
स्नेह और आत्मीयता से आया है नववर्ष
सबके दिलों पर छाया है नववर्ष
आपको मुबारक हो दिल की गराईयों से नववर्ष!
नए साल की नई सुबह, लाये नई खुशियों की सौगात, 
सुख-समृध्दी का हो साम्राज्य, सपनों को मिले एक नया आयाम!
यह नववर्ष शुभ हो, नई खुशियों को लाये! 
यह साल मनमोहक फूलों की तरह से हो आपका जीवन!!
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मार्मिक अपील-सिर्फ एक फ़ोन की !

मैं इतना बड़ा पत्रकार तो नहीं हूँ मगर 15 साल की पत्रकारिता में मेरी ईमानदारी ही मेरी पूंजी है.आज ईमानदारी की सजा भी भुगत रहा हूँ.पैसों के पीछे भागती दुनिया में अब तक कलम का कोई सच्चा सिपाही नहीं मिला है.अगर संभव हो तो मेरा केस ईमानदारी से इंसानियत के नाते पढ़कर मेरी कोई मदद करें.पत्रकारों, वकीलों,पुलिस अधिकारीयों और जजों के रूखे व्यवहार से बहुत निराश हूँ.मेरे पास चाँदी के सिक्के नहीं है.मैंने कभी मात्र कागज के चंद टुकड़ों के लिए अपना ईमान व ज़मीर का सौदा नहीं किया.पत्रकारिता का एक अच्छा उद्देश्य था.15 साल की पत्रकारिता में ईमानदारी पर कभी कोई अंगुली नहीं उठी.लेकिन जब कोई अंगुली उठी तो दूषित मानसिकता वाली पत्नी ने उठाई.हमारे देश में महिलाओं के हितों बनाये कानून के दुरपयोग ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया है.अब चारों से निराश हो चूका हूँ.आत्महत्या के सिवाए कोई चारा नजर नहीं आता है.प्लीज अगर कोई मदद कर सकते है तो जरुर करने की कोशिश करें...........आपका अहसानमंद रहूँगा. फाँसी का फंदा तैयार है, बस मौत का समय नहीं आया है. तलाश है कलम के सच्चे सिपाहियों की और ईमानदार सरकारी अधिकारीयों (जिनमें इंसानियत बची हो) की. विचार कीजियेगा:मृत पत्रकार पर तो कोई भी लेखनी चला सकता है.उसकी याद में या इंसाफ की पुकार के लिए कैंडल मार्च निकाल सकता है.घड़ियाली आंसू कोई भी बहा सकता है.क्या हमने कभी किसी जीवित पत्रकार की मदद की है,जब वो बगैर कसूर किये ही मुसीबत में हों?क्या तब भी हम पैसे लेकर ही अपने समाचार पत्र में खबर प्रकाशित करेंगे?अगर आपने अपना ज़मीर व ईमान नहीं बेचा हो, कलम को कोठे की वेश्या नहीं बनाया हो,कलम के उद्देश्य से वाफिक है और कलम से एक जान बचाने का पुण्य करना हो.तब आप इंसानियत के नाते बिंदापुर थानाध्यक्ष-ऋषिदेव(अब कार्यभार अतिरिक्त थानाध्यक्ष प्यारेलाल:09650254531) व सबइंस्पेक्टर-जितेद्र:9868921169 से मेरी शिकायत का डायरी नं.LC-2399/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 और LC-2400/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 आदि का जिक्र करते हुए केस की प्रगति की जानकारी हेतु एक फ़ोन जरुर कर दें.किसी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी हेतु मुझे ईमेल या फ़ोन करें.धन्यबाद! आपका अपना रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

क्या आप कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अपने कर्त्यवों को पूरा नहीं करेंगे? कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अधिकारियों को स्टेडियम जाना पड़ता है और थाने में सी.डी सुनने की सुविधा नहीं हैं तो क्या FIR दर्ज नहीं होगी? एक शिकायत पर जांच करने में कितना समय लगता है/लगेगा? चौबीस दिन होने के बाद भी जांच नहीं हुई तो कितने दिन बाद जांच होगी?



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