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शनिवार, दिसंबर 06, 2014

कम्बल और भोजन वितरण के साथ "अपंगता दिवस" संपन्न हुआ

नई दिल्ली: विगत 3 दिसम्बर 2014 दिन-बधुवार को सुबह 10 बजे, स्थान-कोढ़ियों की झुग्गी बस्ती,पीरागढ़ी, दिल्ली में गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट (पंजीकृत) दिल्ली के द्वारा झुग्गी बस्ती में रह रहे अपंग लोगों को कम्बल और भोजन वितरण करके "अपंगता दिवस" मनाया गया.
इस अवसर पर उप. प्र. श्रमणी सूर्या महासाध्वी डॉ. श्री सरिता जी महाराज साहब एवं सरलात्मा गुरुणी श्री शिखा जी महाराज साहब के आशार्वाद से और मधुर वक्ता महासाध्वी श्री श्रेया जी महाराज साहब की पावन प्रेरणा से पीरागढ़ी की झुग्गी बस्ती में रह रहे अपंग और कोढ़ियों को गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से कम्बल और एक दिन का भोजन वितरण करने के साथ ही व्यवस्था करने में सहयोग दिया. 

मधुर वक्ता महासाध्वी श्री श्रेया जी महाराज साहब ने इस अवसर पर सभी अपाहिज बन्धुओं एवं महिलाओं को प्रवचन के माध्यम से जीवन और जीवन जीने की कला का तरीका बताकर सभी प्रकार के नशों से मुक्त एवं शाकाहारी जीवन जीने की प्रेरणा दी. इसके अलावा सभी को कुव्यसनों से दूर रहने की शपथ दिलाई. साथ ही यह भी कहा कि आप अपने आपको अधुरा न समझे. आप भी समान्य व्यक्ति की भांति जीवन जी सकते हैं. 
 
उप. प्र. श्रमणी सूर्या महासाध्वी डॉ. श्री सरिता जी महाराज साहब ने  गुरु शुक्ल जैन चैरिटेबल ट्रस्ट कोसाधुवाद दिया तथा इसी प्रकार "मानव सेवा" में लगे रहने की प्रेरणा देकर अपना मंगल आशीर्वाद दिया. ट्रस्ट के प्रधान श्री विजय गर्ग, उपप्रधान राजेश जैन, कोषाध्यक्ष सुशील जैन एवं अन्य सहयोगियों सहित अपने हाथों से इन अपंग भाई-बहनों को भोजन परोसा और मंत्री श्री अजय जैन ने अपने ट्रस्ट की भावी रुपरेखा का उल्लेख किया तथा प्रथम प्रयास के इस सराहनीय कार्यक्रम की संपन्नता हेतु उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया. 
इस अवसर पर ट्रस्ट के प्रधान विजय गर्ग ने मुख्य अतिथि श्री अतुल जैन( अध्यक्ष, जैन क्राफ्रेंस-दिल्ली), पश्चिम विहार श्री संघ, ला. जगदीश राय जैन, श्री शांति लाल कोठारी, निर्मल जैन, अनिल जैन, सुदर्शन जैन के साथ ही दिल्ली-जैन कांफ्रेस के ज्ञानप्रकाश योजना के अध्यक्ष श्री नरेन्द्र जैन आदि के सहयोग करने का धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त करने के साथ ही ट्रस्ट के परम लक्ष्य -मानव सेवा सहित जरुरतमन्द, असहाय  व गरीब लोगों की सहायता करना आदि उद्देश्यों से अवगत करवाया और झुग्गी बस्ती के कार्यकर्त्ताओं को भी धन्यवाद देते हुए भविष्य में भी सहयोग देने का आश्वासन दिया.   

6 टिप्‍पणियां:

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मार्मिक अपील-सिर्फ एक फ़ोन की !

मैं इतना बड़ा पत्रकार तो नहीं हूँ मगर 15 साल की पत्रकारिता में मेरी ईमानदारी ही मेरी पूंजी है.आज ईमानदारी की सजा भी भुगत रहा हूँ.पैसों के पीछे भागती दुनिया में अब तक कलम का कोई सच्चा सिपाही नहीं मिला है.अगर संभव हो तो मेरा केस ईमानदारी से इंसानियत के नाते पढ़कर मेरी कोई मदद करें.पत्रकारों, वकीलों,पुलिस अधिकारीयों और जजों के रूखे व्यवहार से बहुत निराश हूँ.मेरे पास चाँदी के सिक्के नहीं है.मैंने कभी मात्र कागज के चंद टुकड़ों के लिए अपना ईमान व ज़मीर का सौदा नहीं किया.पत्रकारिता का एक अच्छा उद्देश्य था.15 साल की पत्रकारिता में ईमानदारी पर कभी कोई अंगुली नहीं उठी.लेकिन जब कोई अंगुली उठी तो दूषित मानसिकता वाली पत्नी ने उठाई.हमारे देश में महिलाओं के हितों बनाये कानून के दुरपयोग ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया है.अब चारों से निराश हो चूका हूँ.आत्महत्या के सिवाए कोई चारा नजर नहीं आता है.प्लीज अगर कोई मदद कर सकते है तो जरुर करने की कोशिश करें...........आपका अहसानमंद रहूँगा. फाँसी का फंदा तैयार है, बस मौत का समय नहीं आया है. तलाश है कलम के सच्चे सिपाहियों की और ईमानदार सरकारी अधिकारीयों (जिनमें इंसानियत बची हो) की. विचार कीजियेगा:मृत पत्रकार पर तो कोई भी लेखनी चला सकता है.उसकी याद में या इंसाफ की पुकार के लिए कैंडल मार्च निकाल सकता है.घड़ियाली आंसू कोई भी बहा सकता है.क्या हमने कभी किसी जीवित पत्रकार की मदद की है,जब वो बगैर कसूर किये ही मुसीबत में हों?क्या तब भी हम पैसे लेकर ही अपने समाचार पत्र में खबर प्रकाशित करेंगे?अगर आपने अपना ज़मीर व ईमान नहीं बेचा हो, कलम को कोठे की वेश्या नहीं बनाया हो,कलम के उद्देश्य से वाफिक है और कलम से एक जान बचाने का पुण्य करना हो.तब आप इंसानियत के नाते बिंदापुर थानाध्यक्ष-ऋषिदेव(अब कार्यभार अतिरिक्त थानाध्यक्ष प्यारेलाल:09650254531) व सबइंस्पेक्टर-जितेद्र:9868921169 से मेरी शिकायत का डायरी नं.LC-2399/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 और LC-2400/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 आदि का जिक्र करते हुए केस की प्रगति की जानकारी हेतु एक फ़ोन जरुर कर दें.किसी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी हेतु मुझे ईमेल या फ़ोन करें.धन्यबाद! आपका अपना रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

क्या आप कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अपने कर्त्यवों को पूरा नहीं करेंगे? कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अधिकारियों को स्टेडियम जाना पड़ता है और थाने में सी.डी सुनने की सुविधा नहीं हैं तो क्या FIR दर्ज नहीं होगी? एक शिकायत पर जांच करने में कितना समय लगता है/लगेगा? चौबीस दिन होने के बाद भी जांच नहीं हुई तो कितने दिन बाद जांच होगी?



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