आलोचना करें, ईनाम पायें !
आप मेरे ब्लॉग की आलोचना कीजिए और 200 रूपये का नकद ईनाम (पांच व्यक्ति) मनीआर्डर से घर बैठे ही पायें!मेरे ब्लॉग पर और क्या-क्या होना चाहिए, मेरे पास अनेकों जनहित से जुड़ी कुछ रिकोर्टिग है उन्हें कैसे ब्लॉग पर डाला जा सकता है? इसकी सुन्दरता ओर कैसे सुंदर हो सकती हैं, आलोचना करते समय अपशब्दों प्रयोग न करके बल्कि यह बताये कि-इस कमी को ऐसे ठीक किया जा सकता है. किसी भी प्रकार की जानकारी या सुझाव हिंदी में होने के साथ-साथ आम बोलचाल की भाषा में होना चाहिए. जानकारी देते समय यह याद रखना है कि-किसी भी प्रकार की जानकारी के साथ उदाहरण भी देना है. जैसे-मैंने इन्टरनेट या अन्य सोफ्टवेयर में हिंदी की टाइपिंग कैसे करें और हिंदी में ईमेल कैसे भेजें में दिया है और कहाँ पर क्या-क्या सावधानी बरतनी होगी. आप चाहे एक ही सुझाव दें मगर उसका बताने का तरीका बिलकुल आसान होना चाहिए. जानकारी आप ईमेल से भी दे सकते हैं मगर अपना पूरा नाम, पिनकोड सहित पूरा पता और फ़ोन नं. के साथ ही अपना ईमेल आई डी भी लिखना न भूलें.
इसके अतिरिक्त आप निडर है और मेरे प्रकाशन के साथ "संवाददाता", लेखक या अन्य किसी प्रकार के रूप (पद) में जुड़ना चाहते हैं तो अपनी उपरोक्त इच्छा व्यक्त करें.
मार्मिक अपील-सिर्फ एक फ़ोन की !
मैं इतना बड़ा पत्रकार तो नहीं हूँ मगर 15 साल की पत्रकारिता में मेरी ईमानदारी ही मेरी पूंजी है.आज ईमानदारी की सजा भी भुगत रहा हूँ.पैसों के पीछे भागती दुनिया में अब तक कलम का कोई सच्चा सिपाही नहीं मिला है.अगर संभव हो तो मेरा केस ईमानदारी से इंसानियत के नाते पढ़कर मेरी कोई मदद करें.पत्रकारों, वकीलों,पुलिस अधिकारीयों और जजों के रूखे व्यवहार से बहुत निराश हूँ.मेरे पास चाँदी के सिक्के नहीं है.मैंने कभी मात्र कागज के चंद टुकड़ों के लिए अपना ईमान व ज़मीर का सौदा नहीं किया.पत्रकारिता का एक अच्छा उद्देश्य था.15 साल की पत्रकारिता में ईमानदारी पर कभी कोई अंगुली नहीं उठी.लेकिन जब कोई अंगुली उठी तो दूषित मानसिकता वाली पत्नी ने उठाई.हमारे देश में महिलाओं के हितों बनाये कानून के दुरपयोग ने मुझे बिलकुल तोड़ दिया है.अब चारों से निराश हो चूका हूँ.आत्महत्या के सिवाए कोई चारा नजर नहीं आता है.प्लीज अगर कोई मदद कर सकते है तो जरुर करने की कोशिश करें...........आपका अहसानमंद रहूँगा. फाँसी का फंदा तैयार है, बस मौत का समय नहीं आया है. तलाश है कलम के सच्चे सिपाहियों की और ईमानदार सरकारी अधिकारीयों (जिनमें इंसानियत बची हो) की. विचार कीजियेगा:मृत पत्रकार पर तो कोई भी लेखनी चला सकता है.उसकी याद में या इंसाफ की पुकार के लिए कैंडल मार्च निकाल सकता है.घड़ियाली आंसू कोई भी बहा सकता है.क्या हमने कभी किसी जीवित पत्रकार की मदद की है,जब वो बगैर कसूर किये ही मुसीबत में हों?क्या तब भी हम पैसे लेकर ही अपने समाचार पत्र में खबर प्रकाशित करेंगे?अगर आपने अपना ज़मीर व ईमान नहीं बेचा हो, कलम को कोठे की वेश्या नहीं बनाया हो,कलम के उद्देश्य से वाफिक है और कलम से एक जान बचाने का पुण्य करना हो.तब आप इंसानियत के नाते बिंदापुर थानाध्यक्ष-ऋषिदेव(अब कार्यभार अतिरिक्त थानाध्यक्ष प्यारेलाल:09650254531) व सबइंस्पेक्टर-जितेद्र:9868921169 से मेरी शिकायत का डायरी नं.LC-2399/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 और LC-2400/SHO-BP/दिनांक14-09-2010 आदि का जिक्र करते हुए केस की प्रगति की जानकारी हेतु एक फ़ोन जरुर कर दें.किसी प्रकार की अतिरिक्त जानकारी हेतु मुझे ईमेल या फ़ोन करें.धन्यबाद! आपका अपना रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
क्या आप कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अपने कर्त्यवों को पूरा नहीं करेंगे? कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अधिकारियों को स्टेडियम जाना पड़ता है और थाने में सी.डी सुनने की सुविधा नहीं हैं तो क्या FIR दर्ज नहीं होगी? एक शिकायत पर जांच करने में कितना समय लगता है/लगेगा? चौबीस दिन होने के बाद भी जांच नहीं हुई तो कितने दिन बाद जांच होगी?
agar kuchh aalochanatmak dikha to batayenge
जवाब देंहटाएंअंशुमाला जी आपने मेरी आलोचना तो की नहीं, लाओ मैं ही आपकी खुबसूरत आलोचना कर दूँ. मैने आपकी टिप्पणी का हिंदी में अनुवाद कर दिया हैं आप अपने ब्लॉग पर पोस्ट हिंदी में लिखती हैं और हमारे ब्लॉग पर टिप्पणी अंग्रेजी में छोड़ी है. यह रही आपकी हिंदी में टिप्पणी "अगर कुछ आलोचनात्मक दिखा तो बताएँगे."
जवाब देंहटाएंरमेश जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंपहली बार आपके ब्लॉग पर आया देखकर और आपके बारे में जानकर अच्छा लगा
रहि बात आलोचना की तो आलोचना तो हमेशा बुरे कर्म की और बुरी चिजो की जाती हैं तो आपने ब्लाग बनाकर कोई बुरा कार्य तो किया नहीं हा आप आलोचना शब्द की जगह कमिया या दोष शब्द काम में ला सकते है।
मुझे आपके ब्लाग् पर जो कमी लगी वो मैं बता रहा हूं अगर आप आपने ब्लाग् का टेम्प्लेट में लगा फोटो हटा देवे और प्लेन साधारण सफेद बैकग्राउंड रहने दे तो साईड में लगी विजीट बार में लिखे शब्द स्पष्टतः पढ़ने में आ सकतें है और मेरे अंदाज में ब्लाग और अधिक खुबसुरत दिखेगा। और पोस्ट जहां आप लिख रहे है उसके पिछे का बैकग्राउंड भी सफेद हो तो अच्छा लगेगा फोटो लगे टेम्प्लेट की बजाय साधारण टेम्प्लेट लोड होने में भी कम समय लेगा
ओर स्लाइड शो में लगी फोटो में सीनरी को फोटो की बजाय आपके ब्लाग से सबंधी फोटो लगाये तो ज्यादा अच्छा रहेगा
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
मालीगांव
साया
लक्ष्य
kafi achchha likha hain
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट "अभी तो अजन्मा बच्चा हूँ" की चर्चा हमारीवाणी ई-पत्रिका के ब्लॉग-राग कलम में की गई है.
जवाब देंहटाएंhttp://news.hamarivani.com/archives/1042
बुराई करो और ईनाम पाए, आपने बहुत अच्छा लिखा है
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