क्या एक ईमानदार पत्रकार किसी जाति या धर्म का होता है? नहीं. वो जहाँ अन्याय हो रहा हो, वहाँ खड़ा होता है. क्या पत्रकार केवल समाचार बेचने वाला है? नहीं.वह सिर भी बेचता है और संघर्ष भी करता है.उसके जिम्मे कर्त्तव्य लगाया गया है कि-वह अत्याचारी के अत्याचारों के विरुध्द आवाज उठाये.एक सच्चे और ईमानदार पत्रकार का कर्त्तव्य हैं,प्रजा के दुःख दूर करना,सरकार के अन्याय के विरुध्द आवाज उठाना,उसे सही परामर्श देना और वह न माने तो उसके विरुध्द संघर्ष करना.
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शनिवार, दिसंबर 24, 2011
क्या उसूलों पर चलने वालों का कोई घर नहीं होता है ?
3 टिप्पणियां:
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मार्मिक अपील-सिर्फ एक फ़ोन की !
क्या आप कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अपने कर्त्यवों को पूरा नहीं करेंगे? कॉमनवेल्थ खेलों की वजह से अधिकारियों को स्टेडियम जाना पड़ता है और थाने में सी.डी सुनने की सुविधा नहीं हैं तो क्या FIR दर्ज नहीं होगी? एक शिकायत पर जांच करने में कितना समय लगता है/लगेगा? चौबीस दिन होने के बाद भी जांच नहीं हुई तो कितने दिन बाद जांच होगी?
usulon par chalne valon ka koi ek ghar nahin hota .valki unke samprk me aane valon ke hradya hi unke ghar ho jate hai.
जवाब देंहटाएंयही कहूँगा ---भगवान सभी के दिल में शांति और सहन की शक्ति दें ! मै और मेरी धर्मपत्नी की ओर से आप सभी को सपरिवार -नव वर्ष की शुभ कामनाएं !
जवाब देंहटाएंमैं आपके ब्लॉग पर पहली बार आई हूँ | आपका लेख पढ़ा रोचक है | सुलझी हुई बातें हैं ,वैसे उसूल हर व्यक्ति के अपने-अपने होते है और निजी भी हो सकते हैं किन्तु यहाँ
जवाब देंहटाएंनिर्भीक व् लोक उसूलों की बात हो रही है उनका घर होता है पर वे निडरता से आगे बढ़ जाते हैं ,फिर बात जब देश की हो तो लीक और उसूल सिद्धांत सामाजिक हो जाते हैं | और इन पर अडिग रहना हर इन्सान का फर्ज होता है|